चहनियाँ। नागपंचमी के अवसर पर क्षेत्र में सर फोड़ने की एक ऐसी परम्परा होती है ,जिसके बारे में सुनते ही रौंगटे खड़े हो जाते है । इस परम्परा का निर्वहन करने के लिए बकायदे दोनो गांव बिसुपर महुआरीखास में तैयारी सुबह से ही शुरू हो जाती थी । किन्तु इस बार सर फोड़ने की जगह खेलकूद प्रतियोगिता होगा । बिसुपुर व महुआरीखास के बीच एक ऐसी परम्परा नाग पंचमी पर होता थी । जिसे सुनने के बाद लोगो के रौंगटे खड़े हो जाते है । यह परम्परा वर्षों से चली आ रही है । विगत चार वर्ष पूर्व नाग पंचमी के दिन सुबह दोनो गांव की महिलाये व पुरुष अपने अपने गांव के मंदिरों पर इकट्ठा होती है । पहले पूजा पाठ घण्टो चलता है । इसके बाद कजरी गीत होती है । जो देर दोपहर तक चलता है । शाम करीब 4 बजे के बाद दोनो गांव की महिलाये व पुरुष दोनों गांवो के बीच नाले पर इकट्ठा होती है । दोनो गांव की महिलाओं की तरफ से फूहड़ गाली गलौज ( जो परम्परा का हिस्सा है ) शुरू होता है । गाली ऐसी की देखने वाले भी शर्म से सर झुका लेते है । यह गाली दोनो तरफ से पुरुषों को उकसाने के लिए होती है । फिर शुरू होता था ईट पत्थर फेंकने का दौर । यह तब तक चलता था जब तक दोनो तरफ से किसी के सर से खून न निकल जाये । पहले काफी लोग चोटहिल हो जाते थे । इसमे सुरक्षा करने वाले पुलिस कर्मी भी घायल हो जाते थे । किन्तु अब इसे थोड़ा कम कर दिया गया है । बिसुपुर के चंदन तिवारी,डॉ0 बिंध्याचल तिवारी ,महुआरीखास गांव के दीपक कुमार सिंह का कहना है कि दोनो गांव में यह परम्परा वर्षों से चली आ रही है । सब कुछ पूजा पाठ, कजली गीत आदि होता है किन्तु सर फोड़ने की परम्परा मात्र दो चार तक ही सीमित हो गयी है । जबकि पहले कई लोगो का सर फट जाता था । यह परम्परा गांव में सुख समृद्धि के लिए होता है । इस बार इस परंपरा को खत्म कर नई परम्परा दोनो गांवो के बीच खेलकूद का आयोजन होगा । वर्षों से चली आ रही परम्परा का निर्वहन होगा । केवल सर फोड़ने की परंपरा पर विराम लगेगा ।