Home चंदौली टीबी के 460 मरीजों का इलाज कराने में मदद कर चुके हैं...

टीबी के 460 मरीजों का इलाज कराने में मदद कर चुके हैं लालबहादुर

·

चंदौली,।खुद के बाद बेटी के भी क्षय रोग से पीड़ित होने के दौरान हुई आर्थिक तंगी के साथ मिले सामाजिक समस्याओं के दंश ने लाल बहादुर को इस कदर पीड़ा पहुंचाई कि उन्होंने ठान लिया कि अब वह टीबी मरीजों के उपचार में मदद करेंगे | उनके इस संकल्प का नतीजा है कि वर्ष 2006 से अब तक वह 460 टीबी मरीजों की जांच एवं उपचार कराने में मदद कर चुके हैं| उनकी लगन को देख कर क्षय रोग विभाग ने उन्हें जनवरी 2023 में बलगम ट्रांसपोर्टर की ज़िम्मेदारी दी है | अपनी इस जिम्मेदारी को निभाने के साथ ही लाल बहादुर मलिन और घनी आबादी वाली बस्तियों में भी जाते हैं| अपने अनुभव साझा करते हुए टीबी के प्रति फैली भ्रांतियों को दूर करने के साथ ही क्षय रोगियों को इलाज के लिए भी प्रेरित करते हैं|
बबुरी ब्लॉक सदर के नगई गांव निवासी लाल बहादुर (55) बताते हैं कि मुझे मई 1984 में टीबी हुई थी जिसका लगातार 9 महीने तक इलाज लिया और पूरी तरह स्वस्थ हो गया| वर्ष 2000 में बेटी को टीबी रोग हो गया | लगातार 7 माह तक पंडित कमलापति जिला चिकित्सालय चंदौली से दवा दिलाकर बेटी को स्वस्थ किया | हमें और हमारी बेटी को टीबी होने से इस बात जानकारी हो गयी कि यह एक संक्रामक बीमारी है | इस दौरान नियमित दवा का सेवन अवधि पूर्ण होने तक करना चाहिए | साफ-सफाई और पौष्टिक आहार पर विशेष ध्यान देने से यह बीमारी गंभीर नहीं है| टीबी बीमारी के प्रति फैली भ्रांतिया,जागरूकता की कमी और उपचार में लापरवाही के कारण मरीज जान तक गंवा देते हैं| इसलिए मैंने प्रण लिया कि मेरी जानकारी में इस रोग से अब जो भी ग्रसित होगा, उसकी मदद करूँगा |
लाल बहादुर अब टीबी के लक्षण वाले लोगों को जांच, इलाज में मदद के साथ नियमित दवा के सेवन के लिए प्रेरित करते हैं | साथ ही सही जानकारी देकर लोगों को रोग के प्रति जागरूक भी करते हैं|
मरीज के साथ घर वालों को भी सही जानकारी दीl
नगई गांव के राम मोहन (45) पेशे से मजदूर हैं| राम मोहन ने बताया – मुझे कई दिनों से बुखार आ रहा था| एक दिन खांसते समय मुंह से खून भी आने लगा| तब चिंता हुई कि इस बीमारी का कैसे इलाज होगा | उस दौरान घर के आसपास के लोगों ने हमारे परिवार से दूरी बना ली थी | तभी मेरे पड़ोसी ने लाल बहादुर को मेरी बीमारी की जानकारी दी | लाल बहादुर हमारे घर आये और मुझे अपने साथ लेकर नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र गए| वहां मेरा एक्स-रे हुआ और बलगम का सैंपल लिया गया | टीबी की पुष्टि होने के बाद 29 अगस्त 2022 से इलाज शुरू हुआ |इलाज के दौरान पोष्ठिक भोजन के लिए निक्षय पोषण योजना में पंजीकरण कराकर हर माह 500 रूपये दिलाने में बहुत मदद की | परिवार के सदस्यों को इस बीमारी बचाव के लिए उन्होंने साफ-सफाई रखने की भी जानकारी दी |उनके सहयोग से जनवरी 2023 में मैं बिलकुल स्वस्थ हो गया, और अब अपना काम भी नियमित कर रहा हूँ|लगता ही नहीं कि चार महीने पहले टीबी मरीज था|

टीबी उन्मूलन में लोगों की भागीदारी बढ़ी – जिला क्षय रोग अधिकारी

जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ राजेश कुमार ने बताया कि वर्तमान में जिले में कुल 1698 टीबी रोगियों का इलाज चल रहा है| टीबी मरीजों के प्रति लोगों का नजरिया तेजी से बदल रहा है| इसी कारण टीबी से स्वस्थ होकर लोग अपने काम और परिवार की ज़िम्मेदारी निभाने के साथ ही टीबी उन्मूलन के लिए अलग-अलग तरह से मदद कर रहें है| संभावित क्षय रोगियों के बलगम ट्रांसपोर्ट कराने एवं जांच सेंटर तक भेजने के लिए हाल ही में जिले में 39 ट्रांसपोर्ट को प्रशिक्षण दिया गया है| इससे जाँच में तेज़ी आएगी और संक्रमण को काबू करने में मदद मिलेगी|

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here