Home चंदौली विश्व एचआईवी/एडस दिवसगोष्ठी का आयोजन चलाया गया हस्ताक्षर अभियान

विश्व एचआईवी/एडस दिवसगोष्ठी का आयोजन चलाया गया हस्ताक्षर अभियान

एचआईवी एड्स संक्रमण से बचाव के लिए लोगों को जागरूक करने के लिए हर वर्ष एक दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है। इसी क्रम में मुख्य चिकित्साधिकारी सभागार में गोष्ठी एवं हस्ताक्षर अभियान का आयोजन किया गयाl साथ ही विश्व एड्स दिवस के अवसर पर जन जागरूकता पर चर्चा की गई l
इस अवसर पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ वाई के राय ने बताया कि एचआईवी संक्रमण एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है। यह संक्रमण शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को शरीर को कमजोर कर देता है। इम्यूनिटी कमजोर होने से वक्त के साथ लोगों में अन्य गंभीर प्रकार के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। आगे चलकर यही एचआईवी संक्रमण एक्वायर्ड इम्युनो डेफिसिएंशी सिंड्रोम (एड्स) का रूप ले लेता है। जनपद में मौजूदा समय में आंकड़ों के मुताबिक 732 लोग एचआईवी एड्स की समस्या के शिकार हैं।अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आर बी शरण ने बताया कि एचआईवी संक्रमण एक लाइलाज समस्या है, जिसकी अब तक कोई दवा या टीका नहीं बना। लेकिन विशेषज्ञों ने एचआईवी से बचाव के उपाय बताएं हैं, जिनका पालन कर एड्स के खतरे से बचा जा सकता है। एड्स खुद में कोई बीमारी नहीं, लेकिन इससे पीड़ित शरीर प्राकृतिक प्रतिरोधी क्षमता को खो देता है। इसकी वजह होता है एचआईवी। एचआईवी एक वायरस है जो संक्रमण के कारण होता है। शरीर में एचआईवी संक्रमण के प्रसार के कई कारण हो सकते हैं। असुरक्षित यौन संबंध बनाने, संक्रमित व्यक्ति के रक्त के माध्यम या गर्भावस्था में प्रसव के दौरान संक्रमित मां से बच्चे तक एचआईवी फैल सकता है। एचआईवी एड्स के सबसे अधिक मामले असुरक्षित यौन संबंध बनाने के कारण देखने को मिलते हैं।

जिला एचआईवी समन्वयक अभिषेक कुमार सिंह ने बताया कि एचआईवी संक्रमण से ग्रसित व्यक्ति में वायरस की चपेट में आने के दो से चार हफ्ते के भीतर ही लक्षण नजर आने लगते हैं। प्रारंभिक स्थिति में संक्रमित को बुखार, सिरदर्द, दाने या गले में खराश सहित इन्फ्लूएंजा जैसी समस्याओं का अनुभव हो सकता है। संक्रमण बढ़ने के बाद अन्य गंभीर लक्षण दिखने लगते हैं। संक्रमण के होने के बाद इससे निजात नहीं पाया जा सकता है। हालांकि दवाओं के माध्यम से एचआईवी को नियंत्रित किया जा सकता है और इस संक्रमण के कारण होने वाली जटिलताओं को भी कम कर सकते हैं। एचआईवी की दवाओं को एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी (एआरटी) कहा जाता है। एचआईवी की गंभीरता को कम करने के लिए एआरटी शुरू का सेवन शुरू करने की चिकित्सीय सलाह देते हैं।

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