चहनियां। कांवर स्थित सिद्धपीठ मां महड़ौरी देवी परिसर में चल रहे श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ के अंतिम दिन यज्ञ स्थल पर शनिवार को श्रद्धालुओ की भीड़ उमड़ पड़ी । एक तरफ लोग यज्ञ मंडप के फेरे लेने के लिए चक्रमण कर रहे थे तो दूसरी लंगर में प्रसाद लेने के लिए भीड़ उमड़ पड़ी थी । पूरा क्षेत्र गुंजायमान हो उठा ।
कांवर स्थित महालक्ष्मी मां महड़ौरी देवी धाम में लक्ष्मी नारायण महायज्ञ में प्रवचन स्थल पर वैष्णव सन्त सम्मेलन का आयोजन हुआ । जिसमें सन्तो व विद्वानो का आगमन हुआ । सन्त जनों ने अयोध्या के पीठाधीश्वर व यहां आयोजित चार माह तक कथा वाचक करने वाले सन्त वासुदेवाचार्य विद्या भाष्कर जी महाराज के सम्मान में मन्तव्य को ब्यक्त किया । करतल ध्वनि से भक्तों ने महाराज जी का सम्मान व आशीर्वचन प्राप्त किया । सन्त विद्या भाष्कर जी महाराज ने कहा कि हिन्दू धर्म मे वैष्णव सम्प्रदाय का बहुत बड़ा महत्व है । इस धर्म के चार सम्प्रदाय है । इस धर्म के उपासक ब्राम्हणों को वैष्णव या वैरागी कहा जाता है । वैष्णव धर्म के प्राचीन मंदिरों की अर्चना वैष्णव ब्राम्हण द्वारा की जाती है । वैष्णव धर्म के आध्यात्मिक मार्ग में परम्परा अनुसार वैष्णव ब्राम्हणों ( बैरागी ) द्वारा की जाती है । इस धर्म मे भक्ति परक साहित्य 10वी से 16वी शताब्दी के बीच संस्कृत व स्थानीय लेखन में उभरा है । मूलक पीठाधीश्वर स्वामी जी महाराज, बक्सर पीठाधीश्वर नागोरिया पीठाधीश्वर, काशी हिंदू विश्वविद्यालय, सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के बिभागाध्यक्षो ने भी वैष्णव सन्त सम्मेलन में अपना विचार रखा । इस दौरान मंच पर आये अतिथियों का स्वागत व सम्मानित समिति के उपाध्यक्ष गृजेश सिंह व माधव मुरारी पाण्डेय ने किया ।