मारूफपुर स्थित बाबा कीनाराम बैष्णो मठ रामशाला में श्री राम कथा का श्रवण कराते हुए बाल व्यास प्रभात जी महराज
चहनियां। मारूफपुर स्थित बाबा कीनाराम बैष्णो मठ रामशाला परिसर में आयोजित नौ दिवसीय संगीतमय श्री राम कथा ज्ञान यज्ञ समारोह में दूसरे दिन मंगलवार को कथा सुनाते हुए शिव पार्वती कथा का श्रवण कराया। इस दौरान उन्होंने कहा की पिता दक्ष द्वारा यज्ञ आयोजन की सूचना पर भगवान शिव से आग्रह करके यज्ञ स्थल पर पहुंची। जहाँ पिता और बहनों द्वारा अनादर मिला किन्तु माँ का वात्सल्य प्रेम प्राप्त हुआ। यज्ञ स्थल की परिक्रमा के दौरान शिव को स्थान न मिलने से नाराज सती ने यज्ञ कर्ताओं पर नाराजगी व्यक्त करते हुए अपने देह का त्याग किया। सूचना पाकर क्रोधित शिव ने बीरभद्र को प्रकट कर यज्ञ करने वालों को दण्डित कराया। वहीं सती हिमाचल की पुत्री के रूप में पार्वती जी जन्म लिया। बाबा शंकर सती के जाने के बाद बैरागी हो गए थे। नारद जी द्वारा पार्वती की हस्तरेखा परखकर विवाह की योजना बनायी। विवाह में भगवान शिव और उनके बरातियों की छवि का सजीव का चित्रण करके श्रोताओं को झूमाया। उन्होंने कहा की भाग्य में लिखी को मिटाने वाला भगवान के अलावा कोई नही है। इसलिए हम सबको सुबह उठकर पीने वाले चाय के प्याले की जगह राम नाम रुपी प्याला को पीना चाहिए। इसी से आप सबका और जगत का कल्याण होगा। हमें आप को दिखावे या किसी को नीचा दिखाने के लिए कोई पूजन आयोजन नहीं करना चाहिए। क्योंकि इससे उपहास और नुकसान के अलावा कुछ नहीं प्राप्त होगा। कथा श्रवण के दौरान मुख्य रुप से तिलकधारी शरण दास, सूबेदार मिश्र, दुर्गेश पाण्डेय, नागेंद्र मिश्र, बबलू पाण्डेय, जयशंकर मिश्र, रमाशंकर यादव, ओमप्रकाश विश्वकर्मा, उमाशंकर गौड़ सहित सैकड़ो श्रोताओं ने कथा श्रवण किया।