ब्लाक के अधिकारियों कर्मचारियों के कमीशन खोरी के चक्कर में बढ़ रहा व्यापक भ्रष्टाचार – दीपेश सिंह
चंदौली सकलडीहा। जहा एक तरफ सरकार पारदर्शिता और ईमानदारी से कार्य करने का दावा कर रही है वही कुछ भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे अधिकारी कर्मचारी सरकार के ईमानदार छवि को धूमिल करने में लगे है।मिली जानकारी के अनुसार मामला सकलडीहा विकास खंड का है जिसको लेकर सोशल एक्टिविस्ट दीपेश सिंह ने एक पत्र के माध्यम से हुए भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए जिलाधिकारी व मुख्यविकास अधिकारी के नाम से पत्र लिखा जिसमें उन्होंने बताया है कि ग्राम सभा धनऊर में प्राथमिक विद्यालय में कराए गए इंटर लॉकिंग के कार्य का 742000 रुपए भुगतान एक रोजगार सेवक के पिता द्वारा बनाए गए फर्म में गया है।इंटरलॉकिंग कार्य पर एक फर्म पर हुआ ।दीपेश सिंह ने आरोप लगाया फर्म में प्रोपराइटरशिप में पंजीकृत नाम रोजगार सेवक के पिता का है।जबकि उत्तर प्रदेश शासन के द्वारा अपर सचिव मनोज कुमार सिंह द्वारा 21 मार्च 2022 को जारी शासनादेश में मनरेगा मटेरियल आपूर्ति या अन्य कार्य हेतु वेंडर के रूप में पंजीकरण के संबंध में जारी शासनादेश में स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि मनरेगा कार्यक्रम के क्रियान्वयन से जुडे पदाधिकारी या कर्मी के रिश्तेदार की फार्म न हो परंतु उक्त फॉर्म ग्राम रोजगार सेवक के पिता की है। फिर भी मनरेगा योजना के कार्यक्षेत्र में पंचायत द्वारा सामग्री आपूर्ति का न केवल टेंडर दिया गया बल्कि भुगतान भी किया है।इस बात की सूचना खंडविकास अधिकारी सकलडीहा सहित सभी जिमेदारो को भी थी।जब उक्त फर्म रजिस्टर्ड ही नहीं हो सकती तो टेंडर और भुगतान कैसे हो गया?।कमीशन खोरी के चक्कर में कुछ जिमेदार विकास खंड के अधिकारी,और मनरेगा कर्मचारियों के द्वारा भ्रष्टाचार कर के सरकार के नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है। उक्त मामले को लेकर सोशल एक्टिविस्ट ने मुख्य विकास अधिकारी व जिलाधिकारी चंदौली से निष्पक्ष जांच करने की मांग की और भ्रष्टाचार में संयुक्त सभी अधिकारी और कर्मचारियों को दंडात्मक कार्यवाही की मांग की।