धानापुर। क़स्बा मे चल रहे रामलीला मे चौथे दिन की लीला मे भगवान राम ने ऋषि विश्वामित्र के अज्ञा अनुसार ताड़का का वध किया। लीला का विस्तार राम, लक्ष्मण, भरत एवम शत्रुघ्न चारों राजकुमार अपनी शिक्षा पूरी कर अयोध्या लौटते थे। उनके पराक्रम की चर्चा सभी जगह हो रही थी| उसी दौरान कुछ हिस्सों में राक्षसी राज होने के कारण जन मानष बहुत दुखी एवम प्रताड़ित थे। तब सभी मुनि मिलकर इस समस्या के निवारण हेतु एक उपाय सोचते हैं एवम अयोध्या जाकर दशरथ नंदन को इस दुविधा के अंत के लिए बुलाना तय करते हैं | इसके लिए मुनिराज विश्वामित्र अयोध्या के लिये प्रस्थान करते हैं |
अयोध्या पहुंचकर विश्वामित्र राजा दशरथ से सारी स्थिती स्पष्ट करते हैं और राम को अपने साथ भेजने का आग्रह करते हैं | राजा दशरथ जनकल्याण के लिए सहर्ष राम को जाने की आज्ञा दे देते हैं | यह सुन लक्षमण गुरु विश्वामित्र के चरण पकड़ कर अपने भैया राम के साथ ले चलने का आग्रह करते हैं | भातृप्रेम के आगे सभी हार मान जाते है और लक्षमण को भाई राम के साथ जाने की आज्ञा दे देते हैं | सुबह के समय राम, लक्ष्मण एवम मुनि विश्वामित्र नदी के किनारे पहुँचते हैं | दो राज कुमारो को देख सभी मुनि विश्वामित्र से उनका परिचय जानना चाहते हैं | तब विश्वामित्र सभी को बताते है कि ये दोनों अयोध्या के राजकुमार हैं | उनकी बाते सुनने के बाद वहाँ के लोग उन्हें नाव देते हैं और कहते हैं कि वे इस नदी को इसी नाव से पार करें | मुनिराज सभी को धन्यवाद देते हैं और नाव लेकर निकल पड़ते हैं | किनारे पर पहुँचने के बाद उन्हें एक घना जंगल मिलता हैं तब राम विश्वामित्र से पहुँचते हैं – गुरुवर यह कैसा घना डरावना जंगल हैं ? जहाँ चारों तरफ खतरनाक जंगली जानवरों का शोर हैं। अंधकार इतना अधिक गहरा हैं पेड़ो की घनी शाखाओं के कारण सूर्य का तेज प्रकाश भी यहाँ तक पहुँच नहीं पा रहा | क्या नाम हैं इस डरावने जंगल का ? विश्वामित्र उत्तर देते हैं – हे राम ! जहाँ तुम इस भयावह जंगल को देख रहे हों, वहाँ कई वर्षों पहले दो समृद्ध राज्य करूप एवम मालदा हुआ करते थे | वे दोनों ही राज्य बहुत सम्पन्न थे | जहाँ धन सम्पदा की प्रचुर मात्रा थी और प्रजा भी खुशहाल थी।
भगवान श्रीराम ने बालकाल्य में ऋषियों की सहायता के लिए वन में राक्षसों का वध किया था. पुराणों के अनुसार यह युद्ध स्थल छत्तीसगढ़ बस्तर के अंतर्गत आने वाले अबूझमाड़ की पहाड़ियाों का क्षेत्र रक्साहाड़ा है. रामायण के अनुसार भगवान राम को ऋषि विश्वामित्र उनके पिता दशरथ से राक्षसों के संहार कराने के लिए ले जाते हैं।ताड़का सुकेतु यक्ष की पुत्री थी, जो एक शाप के प्रभाव से राक्षसी बन गई थी। उसका विवाह सुंद नाम के दैत्य से हुआ था। ताड़का के दो पुत्र थे, उनके नाम थे सुबाहु और मारीच। ताड़का का परिवार अयोध्या के नजदीक एक जंगल में रहता था।
लीला तड़का के वध पर समाप्त होती।
लीला मे प्रस्तुत कमला कान्त,
वशिष्ठदुबे अच्युतानन्द,सुद्धन राइन
शिबकुमार दुबे ,बिपीन प्रताप रस्तोगी
आलोक केशरी ,सुजित कुमार
घनश्याम मौर्या ,संकटमोचन मोदनवाल
इन सभी लोगो को रामलीला समिति के अध्यक्ष अरबिंद मिश्रा के द्वारा प्रशस्ति पत्र एवं अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया गया ।
उपस्थिति -सनत कुमार द्वितीय, रामलाल सेठ,सतीश सेठ(उपाध्यक्ष),कृष्णानन्द, सुरेन्दर सेठ,अरुन जयसवाल, अप्रवल सिंह,वेद प्रकाश,मुराहु सेठ इत्यादि,
कलाकर भूमिका में-राम,लक्ष्मण,भरत,शत्रुघ्न(शिवांश,देवांश,मनन,वनवारी) अच्युतानन्द(मारीच),घनश्याम मौर्या(ताड़का)आदि कलाकर रहे। मुकेश दूबे