धानापुर। की सुप्रसिद्ध रामलीला के तीसरे दिवस मनु सतरूपा तपस्या एवं रावण तप का मंचन किया गया जिसमें मनु सतरूपा भगवान श्रीहरि विष्नु को तपस्या कर प्रसन्न कर ये वरदान प्राप्त करते हैं कि वह उनके पुत्र के रूप में जन्म ले भगवान मनु और सतरूपा मन्सा जानकर तथास्तु कर ये वरदान देते हैं कि ये राजन मैं अपने सातवे अवतार त्रेतायुग में तुम्हारे पुत्र के रूप में जन्म लूंगा ।
इधर राजा विशेषवा के और केकेसी के घनघोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान ब्रह्मा जी और भोलेनाथ के वरदान से ये वरदान प्राप्त करते हैं और तीन पुत्र रत्न की प्राप्ति होती हैं जो जन्म के प्रश्चात ही तपस्या करने लगते है और पुनः ब्रह्मा जी वरदान प्राप्त करते हैं जिसमे रावण ब्रह्मांड विजेता अमरत्व का वरदान,बिभीषण नारायण प्रभु के रति का वरदान प्राप्त करता हैं और कुंभकरण छः माह सोने(शयन)और एक दिन जागने खाने(भोजन) करने का वरदान प्राप्त करता है जिसपर ब्रह्मा जी कहते है कि जब भी कोई छः माह पूर्व जगाने का प्रयत्न करेगा तो रावण के और अपने मृत्यु का कारण भी बनेगा और अंतर्ध्यान हो जाते है। ततपश्चात रावण दरबार में जाता है और अपने अमरता का जश्न मनाता हैं और आम जनमानस सहित सभी साधु संतों पर अत्याचार करता है जिसपर पृथ्वी माता गाय(गौ) का रूप धारण कर देवताओं के राजा इंद्र के पास जाती हैं पाप के भार को न सहन कर पाने व्यथा को सुनाते है पर इंद्र कहते है कि हम सभी देवता गण स्वयं छुपते फिर रहे है और कहते हम सबके कष्टों का निवारण भगवान नारायण के पास जरूर होगा, पुनः भगवान विष्णु का तपस्या कर सारे पापों निवारण हेतु तपस्या करते हैं जिसपर भगवान लक्ष्मी नारायण प्रकट होते है और अपने सातवे अवतार श्रीराम के में जन्म लेने बात कहते है।
उपस्थिति -सनतकुमार द्विवेदी,अरबिंद मिश्रा, श्रीराम सिंह, बिपिन प्रताप रस्तोगी, कृष्णानन्द,सुरेंदर सेठ,वेदप्रकाश, सतीश सेठ,रामलाल सेठ,अपरवल सिंह,प्रदीप मोदनवाल,अशोक बघेल,बशिष्ठ दुबे इत्यादि,
कलाकार भूमिका- अच्युतानंद (कुम्भकर्ण)
विजय दुबे(ब्रह्मा जी),घमश्याम मौर्य(रावण),शिवकुमार दुबे(मनु),अमन दुबे(सतरूपा),गौरीशंकर मौर्या (कैकेसी)इत्यादि कलाकार रहे।मुकेश दूबे