कागजों में दिखाई जाति है प्रसव, मोटी रकम ले कर प्राइवेट अस्पतालों में भेज दी जाती है गर्भवती महिला
चहनिया। विकास खंड अन्तर्गत स्वास्थ सेवाए इन दिनों सुर्खियों में है।कही हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों पर ताला लगा है।तो कही जच्चा बच्चा केंद्र/उपकेंद्र पर ताला लगा कर कागज में प्रसव दिखाए जाते है। अमिलाईं स्थित हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर लगभग आठ महीनों से बंद पड़ा है।तो वही डेवड़ा में कभी सीएचओ समय से नही आती।ज्यादातर उपकेंद्र प्रसव केंद्रों पर कागजी खानापूर्ति कर महीने के चार पांच प्रसव दिखा दिए जाते है।मामला कुछ और ही है ज्यादातर केंद्रों से
एएनएम द्वारा और हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर तैनात सीएचओ से जम कर वसूली की जाती है और उनके अनियमितता की सुरक्षा का भरपूर ख्याल रखा जाता है।दो चार को छोड़ कर लगभग सभी उपकेंद्रों से मोटी रकम ली जाती है और जच्चा बच्चा केंद्रों पर महीने के लगभग पांच प्रसव दिखा दी जाती है बदले में एएनएम स्वास्थ विभाग के प्रभारी को मोटी रकम दे जाती है और एएनएम गर्भवती महिलाओ को दस से पंद्रह हजार के कमीशन पर प्राइवेट अस्पतालों को लूट खसोट करने के लिए बेच देती है।वही नाम न बताने की शर्त एक विभागीय सूत्र ने बताया कि हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर तैनात सीएचओ की कागजी हाजिरी के नाम पर डीसीपीएम को पांच से आठ हजार रुपए प्रत्येक सेंटर से दिए जाते है। ए एन एम के द्वारा प्रत्येक प्रसव केंद्रों पर से महीने के पंद्रह हजार दिए जाते है। जिसमे महीने भर सेंटर पर जांच नही की जाती है इसके एवज विभागीय काजगी कार्यवाही पूर्ण की जाती है।अब सवाल ये उठता है कि ब्लाक में चार पांच सेंटर को छोड़ दिया जाए तो इतना वसूली का पैसा जाता कहा है? सरकार की योजनाओं को धूमिल करते अधिकारियों के ऊपर किसका हाथ है?।स्वास्थ विभाग के उदासीनता के चलते सरकार की बेहरत स्वास्थ सेवाए
केंद्र और राज्य की सरकार स्वास्थ्य के क्षेत्र में बेहतर व्यवस्था देने की पुरजोर कोशिश नाकाम होती दिख रही है।सरकार प्रत्येक व्यक्ति को स्वास्थ्य योजनाओं से जोड़ कर सुरक्षा की गारंटी देने के लिए विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों को संचालित कर रही।
इधर गरीबों के लिए सरकार की बेहतर सुविधाएं महज कागज़ों तक ही सीमित रह जाती है।साफ छवि की सरकार करोड़ो खर्च कर के गरीबों को सुविधा देने के लिए अनेकों स्वास्थ सेवाएं योजनाएं उपलब्ध करवा रही है।वही विभागीय अधिकारी योजनाओं को कागजों तक ही सीमित कर अपनी जेब भरने में पड़े है।सूत्रों की माने तो जनपद के एक एडिशनल स्वास्थ अधिकारी का संरक्षण स्वास्थ विभाग के प्रभारी को है।महीने में विकास खंड चहनिया से लाखों की वसूली होती है।जिसका बंदर बांट एक एडिशनल और प्रभारी तक सीमित हो जाती है।बीमार स्वास्थ विभाग को सुचारू करने के लिए स्वास्थ विभाग के बढ़ते भ्रष्टाचार को लेकर कुछ समाज सेवियों ने पत्र के माध्यम से स्वास्थ विभाग के भ्रष्टाचार की शिकायत विभागीय मंत्री बृजेश पाठक से कर जांच करवाने की बात कही है।सबसे बड़ा सवाल ये है की क्या जिम्मेदार विभागीय अधिकारियों के कानो में भ्रष्टाचार की हनक नहीं है या दृष्टराष्ट्र की तरह आंखे बंद कर बस तमाशबीन बने हुए है?अथवा वसूली की मोटी रकम में एक हिस्सेदारी इनकी भी है? खैर पूरा मामला उच्चस्तरीय जांच में ही सामने आएगा।