Chandauli News: युवा संघर्ष मोर्चा के द्वारा पिछले दिनों से चलाए जा रहे जिला जेल वाराणसी के अभियान को एक नई दिशा मिली है अंदर सूत्रों के हवाले से खबर है की पूरी तरह से कैंटीन में खुलेआम बिकने वाले नशा पदार्थ पूरी तरह से बंद हो चुके हैं। और जेल में बन्दी को सुधार के लिए रखा जाता है वहां से आम व्यक्ति बंद होने के बाद नशे की लत संगत में पकड़ लेता है। वार्ता में युवा संघर्ष मोर्चा के संयोजक अधिवक्ता शैलेंद्र पांडे एडवोकेट ने बताया कि जब बंदी जिलों में बंद होता है तो उसे संगत में नशे का असर बढ़ने लगता है और वह नशा करना शुरू कर देता है जिलों में नशे का आदी होने के बाद विभिन्न मामले में उसकी जमानत अगर विलंब से होती है तो वह पूरी तरह से नशेड़ी हो जाता है। उसके बाद अपने परिवार से ज्यादा पैसे की मांग जेल में रहने के लिए करने लगता है जिससे मध्यमवर्गी और निम्न वर्गी परिवार पर आर्थिक संकट खड़ा हो जाता है।परिवारजन उधार और सूद पर पैसा ले जाकर के बंदी को जिलों में पहुंचते हैं जिसे वह नशा करता है और यह नशा अपने मूल दाम से चार गुना पांच गुना रेट पर बेचा जाता है जिसका फायदा निजी तौर पर जेल अधीक्षक ले रहे थे। ऐसी परिस्थितियों में इन गरीब और निम्न मध्यवर्गीय लोगों के लिए से मोर्चा को आवाज उठानी पड़ी आज यह आवाज उत्तर प्रदेश के धीरे-धीरे सभी जिलों में पहुंचेगी और पूरे उत्तर प्रदेश से जिलों को नशा मुक्त करने का जो अभियान है उसको सफल बनाने के लिए हम किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार हैं। शैलेंद्र पांडे ने कहा कि उन्होंने अपनी आंखों से हर एक बंद गरीब के दर्द को वहां समझने की कोशिश की है और अंदर से उनके दर्द को देखकर के हृदय का रुदन होने लगता था कि वह वहीं भारत है जो आजाद होने के बाद संकल्पना से उनकी प्रेरणा से इस आंदोलन की नींव रखी गई है ।और यह आंदोलन लगातार चलता रहेगा की जेल सुधार के लिए बनी है व्यवस्था को खराब करने के लिए नहीं । युवा संघर्ष मोर्चा के शैलेंद्र पांडे ने चंदौली जनपद के पूर्व पुलिस अधीक्षक को इस बात के लिए बधाई दी कि फर्जी मुकदमे में उन्हें जेल भेजने का काम किया अगर वह उन्हें जेल नहीं भेजे होते तो आज इतनी बड़ी लड़ाई मोर्चा के द्वारा नहीं लड़ी जाती।और बताया की लगभग दो हजार से बाइस सौ कैदी चौरासी जिला कारागार में बंद होते हैं लगभग चंदौली जनपद के सात सौ बंदी जिला कारागार में औसतन रहते हैं। पूरे वर्ष भर में चंदौली जनपद के पांच से सात सौ बंदी जिला कारागार में जाते हैं और नब्बे प्रतिशत विचाराधीन बंदी निम्न वर्गी और मध्यवर्गीय परिवार से संबंध रखते हैं। बहुत सारे बंदी बेवजह जेलों में बंद है बन्दी की सुरक्षा पर शैलेंद्र पांडे ने राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू जी के उस बयान का समर्थन करते हुए कहा की जेलों में बिना वजह कई लोग बंद है जिसे सरकारी खजाने पर बोझ भी बढ़ता है जिलों में सुधार की प्रक्रिया होनी चाहिए ना कि आपराधिक प्रवृत्ति को बढ़ाने वाली।और कहा कि जब जेल प्रशासन ही भ्रष्टाचार पर उतारू रहेगा तो उसे देखने वाला बंदी के अंदर सुधार होने की संभावना बहुत कम होती हैं।बिहार मे आय से अधिक संपत्ति रखने वाले जेल अधीक्षक का उदाहरण देते हुए कहा कि क्या जेल वर्तमान समय में संपत्ति बनाने का केंद्र बन चुकी है इसलिए आने वाले समय में युवा संघर्ष मोर्चा पूरे भारत के जेलो पर काम करने जा रहा है।