कमालपुर! रामलीला मैदान में चल हो रहे श्रीमद्भागवत कथा के अंतिम दिन के कथा मे आज् व्यास जी ने भगवान कृष्ण जी के द्वारा भोमा सूर के बंधक बनाई गई कन्याओं के मुक्ति और भगवान श्री कृष्ण से उनके विवाह की कथा सुनाई। श्रीमद् भागवत कथा के समापन अवसर पर वृंदावन से पधारे कथा व्यास आचार्य मनोहर कृष्ण ने बताया कि भोमासुर ने सलोहा हजार एक सौ कन्याओं को बंदी बनाकर अपने कारागार में रखा था। जब भगवान श्रीकृष्ण ने कन्याओं को मुफ्त कराया तो उनकी अस्मिता की रक्षा का संकट सामने खड़ा हो गया। उन सभी ने भगवान की स्तुति की और कहा कि हमारी मान की रक्षा के लिए आप हमसे विवाह करें। भगवान वत्सल हैं स्त्रियों के सम्मान की रक्षा तथा सत्व को बनाए रखने के लिए उन सभी से विवाह किया। आगे की कथा सुनाते हुए कथा व्यास ने बताया कि कैसे जरासंध का वध हुआ। तथा संक्षेप में महाभारत की कथा के प्रसंग का वर्णन किया। इसके बाद उन्होंने भगवान दत्तात्रेय के चौबीस गुरुओं के बारे में विस्तार से कथा बताई। कथा व्यास ने बताया कि व्यक्ति को हमेशा ज्ञान के प्रति सतर्क रहना चाहिए चाहे कहीं से भी हमें ज्ञान प्राप्त हो उसे ग्रहण करते रहना चाहिए। यह प्रेरणा हमें भगवान दत्तात्रेय की जीवनी से मिलती है। कथा के समापन अवसर राजेश सेठ के द्वारा कथा श्रोताओं को प्रसाद वितरण की व्यवस्था की गई।आज कथा के समापन के दिन दूर-दूर से श्रद्धालु कथा मे शामिल रहे ।कथा में प्रमुख रूप से हरिवंश उपाध्याय, रविंद्र दुबे , सजीवन मिश्रा, बसंत मिश्रा, संजय मिश्रा, गणेश अग्रहरी, संतोष कुमार, बाके दुबे, भैरो सिंह, अशोक अग्रहरि, राम जीत मौर्या, दादुल अग्रहरि, संजय रस्तोगी, ओंकार रस्तोगी, विकास गुप्ता, डॉ बेदब्यास राय, सुदामा जायसवाल, राधे सेठ, राजेश सेठ आदि बहुत बड़ी संख्या में श्रद्धालुउपस्थित रहे।