मोटी रकम देकर मरीज बाहर अल्ट्रासाउंड कराने को मजबूर
चकिया–जहां एक तरफ स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार लगातार प्रयास कर रही है । स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति जानने के लिए खुद स्वास्थ्य मंत्री (डिप्टी सीएम )बृजेश पाठक प्रदेश के स्वास्थ्य केंद्रों का निरीक्षण कर रहे हैं लेकिन सरकार और स्वास्थ्य मंत्री की कवायद चकिया के जिला संयुक्त चिकित्सालय में फेल होती नजर आ रही है । आपको बताते चले की तत्कालीन मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह के प्रयास से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को संयुक्त जिला चिकित्सालय में परिवर्तित किया गया था । जहां मरीज के स्वास्थ्य की बेहतर सुविधाओं के लिए सौ सैया का बेड एवं इलाज से संबंधित मशीनों की व्यवस्था कराई गई थी । वर्तमान समय में चकिया के जिला संयुक्त चिकित्सालय में अल्ट्रासाउंड मशीन तो है लेकिन रेडियोलॉजिस्ट ना होने की वजह से मरीजों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है । विगत दो वर्षों से रेडियोलॉजिस्ट के ना होने की वजह से मरीजो को बाहर भारी मात्रा में पैसा देकर अल्ट्रासाउंड कराना पड़ रहा है । जहां मौके का फायदा उठाकर बाहरी अल्ट्रासाउंड जांच केंद्र मरीज को लूट रहे हैं । बात यही नहीं खत्म होती है अगर मरीज बाहर अल्ट्रासाउंड कराने के लिए स्वयं जा रहा है तो पैसा कम लग रहा है वहीं अगर पर्ची पर किसी डॉक्टर के द्वारा लिखा अल्ट्रासाउंड कराने जा रहा है तो पैसा दोगुना लग रहा है । इससे बड़ा कमीशन खोरी का उदाहरण क्या होगा ।
*क्या कहते हैं जिम्मेदार*
वही जब स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारी चकिया सीएमएस से इसके बारे में बात की गई तो उन्होंने बताया कि लिखा-पढ़ी कर कर भेज दिया गया है अभी रेडियोलॉजिस्ट की नियुक्ति नहीं हो पा रही है । सूत्रों की माने तो कमीशन खोरी के चक्कर में यहां किसी रेडियोलॉजिस्ट की नियुक्ति नहीं की जा रही है । कागजी कोरम पूर्ति कर उसे ठंडे बस्ते में डाल दिया जा रहा है ।किशन श्रीवास्तव