Home चंदौली भरत चरित्र सुन भाव विभोर हुए श्रोता

भरत चरित्र सुन भाव विभोर हुए श्रोता

भाई संपत्ति की बटवारा नहीं बल्कि विपत्ति का करें बटवारा- शालिनी त्रिपाठी

बबुरी। क्षेत्र के बौरी ग्राम सभा में संगीतमय श्रीराम कथा के आठवें दिन मानस मयूरी शालिनी त्रिपाठी ने श्रोताओं को भरत चरित्र कथा सुना कर भाव विभोर कर दिया। उन्होंने कहा कि आज के भाई आपस में लड़ रहे हैं। संपत्ति के लिए एक भाई दूसरे पर जानलेवा हमले कर रहा है। लेकिन भगवान राम ने छोटे भाई भरत के लिए राज त्यागा और वन गमन किया। उन्होंने कहा कि भाइयों को संपत्ति और धन से ज्यादा भाई को प्रेम करना चाहिए। अगर भाइयों में प्रेम होगा तो परिवार तरक्की के रास्ते पर चलता रहेगा। वहीं भरत ने बड़े भाई द्वारा राज्य दिए जाने के बाद भी उनकी पादुकाओं को सिंहासन पर रख कर कठिन तप किया था। जबकि आज के भाई राज्य पाने के बाद भाई को ही भूल जाएंगे। कथा वाचिका ने कहा कि भरत ने अयोध्या का राजा भगवान श्रीराम को माना व स्वयं को उनका दास बताया।
उन्होंने कहा कि श्रीराम वन चले गए, लेकिन भरत जी ने अयोध्या की गद्दी स्वीकार नहीं की। उन्होंने राजपाट को यह कहकर ठुकरा दिया कि अयोध्या की संपत्ति का अधिकारी मै नहीं हूं, इसके हकदार रघुपति ही हैं। यह कहकर भरत सेवक बनकर चौदह वर्ष तक श्रीराम की पादुकाओं को सिंहासन पर स्थापित कर राज्य का संचालन करते रहे। वर्तमान समय में भाई-भाई में जो प्रेम का भाव हो रहा है, उसका मूल कारण है संपत्ति और स्वार्थ है। अगर श्रीराम और भरत की तरह भ्रात प्रेम हो जाए तो सारा विवाद समाप्त हो सकता है।भाई की संपत्ति का बंटवारा करने वाला भाई नहीं होता, बल्कि भाई उसे कहा जाता है जो अपने भाई की विपत्ति का बंटवारा करें। इस अवसर पर राणा प्रताप सिंह, रामकिशुन यादव पूर्व सांसद, वीरेंद्र सिंह, हरिवंश सिंह धनंजय सिंह आशीष सिंह, जितेंद्र कुमार गुप्ता एडवोकेट, सोहन बिंद ,सूरज गुप्ता, सहित सैकड़ो श्रोतागण उपस्थित रहे।

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