Home चंदौली राम को केवट ने कराया नदी पार

राम को केवट ने कराया नदी पार

चहनियां। श्री रामलीला समिति रामगढ़ के तत्वावधान में चल रहे रामलीला मंचन के सातवें दिन शनिवार की रात राम केवट संवाद सहित विभिन्न लीलाओ का मंचन किया गया। रामलीला की शुरुआत विक्रमादित्य सिंह, लालजी सिंह, श्यामसुंदर सिंह, अजित सिंह, अनिल सिंह, बबिता सिंह, लूसन सिंह, पप्पू पाठक द्वारा श्री राम चन्द्र जी की आरती उतार कर की गयी ।केवट संवाद प्रसंग का मंचन देख श्रद्धालु भावविभोर हो गए। रामलीला में सुमंत ने प्रभु श्रीराम से 14 वर्ष बाद घर जाने के लिए आग्रह किया तो राम ने मना कर दिया। यह सुनकर राम आगे बढ़े सुमंत वापस अयोध्या को आ गए। उधर भगवान श्री राम सरयू नदी किनारे खड़े केवट से नदी पार करने के लिए नाव में बिठाने का आग्रह करने लगे।
केवट प्रभु श्री राम के पास आया और बोला कि आप कौन हैं कहां से हैं और कहां जा रहे हैं। अपना परिचय दीजिए। प्रभु श्री राम ने केवट को अपना परिचय दिया तो केवट वहां से भाग कर दूर हो गया और कहा कि आप वही राम हैं जिनके छूते ही पत्थर की शिला आसमान में उड़ गई। मेरी नाव काठ की है यह तो छूमंतर हो जाएगी। मैं अपने परिवार का पालन पोषण कैसे करूंगा। उधर, अयोध्या में श्रीराम को छोड़ सुमंत जी के पहुंचते ही राम को वापस नहीं आने की खबर राजा दशरथ को मिलते ही राम राम कहते ही प्राण त्याग देते हैं जिसे देख दर्शक द्रवित हो गए। इसके बाद भरत, शत्रुघ्न ननिहाल से सूचना के बाद आयोध्या आते हैं।राम-केवट संवाद में भक्तिरस का खूबसूरत अहसास पात्रो द्वारा कराया गया ।देते। मंत्री सुमंत के बिना रामलखन के अयोध्या वापस आते ही राजा दशरथ की आखिरी उम्मीद भी टूट जाती है। आखिरकार वह राम को पुकारते-पुकारते दम तोड़ देते हैं। इस दौरान मुख्य रूप से धनञ्जय सिंह, प्रभुनारायण सिंह, गिरधर पाठक, ब्यास शोभनाथ पाण्डेय, राधेश्याम पाण्डेय, अर्पित पाण्डेय, शिवदत्त पांडेय, रामायन साव, मुकेश साहनी, संजय पाण्डेय, राजेश कुशवाहा, चंद्रमा कुशवाहा, मुकेश साहनी आदि लोग उपस्थित रहे ।

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