Home चंदौली सहकारिता मंत्री से मिलकर बताया किसानों की समस्या

सहकारिता मंत्री से मिलकर बताया किसानों की समस्या

चंदौली। साधन सहकारी समिति के सदस्य एवं बनारस हिंदू विश्व विद्यालय के पूर्व छात्र नेता अजीत कुमार सिंह ने सहकारिता मंत्री जेपीएस राठौर से मुलाकात कर जनपद चंदौली की किसानों की समस्या से अवगत कराया अजीत सिंह ने बताया कि कापरेटिव पर उचित मात्रा में खाद की कमी व उसके निर्धारित मूल्य को कोऑपरेटिव पर अंकित न करने जैसे मूल समस्याओं से अवगत कराया गया और उसे शिष्टाचार मुलाकात कर चंदौली के किसानों की अन्य प्रमुख समस्याओं को भी अवगत कराया गया अजीत सिंह ने बताया कि
बी पैक्स सहकारी विभाग में इन दिनों सरकार द्वारा किसानों की आय दोगुनी के लिए विभिन्न नई योजनाओं की घोषणा की गई है। जिससे किसानों को अधिक से अधिक लाभ मिल सके ।इस समय धान की रोपाई लगभग पूर्ण हो चुकी है उन्हे खाद की सख्त जरूरत है । जिसके लिए किसान परेशान हो रहे है ।समितियों पर आए दिन ताला लटका रहता है । किसान खाद के लिए इधर भटक रहे हैंऔर प्राइवेट दुकानों से खाद खरीदने को मजबूर है ।
गौरतलब है कि चंदौली जनपद के विकास खंड सकलडीहा, धानापुर , व चहनिया में लगभग तीन दर्जन सहकारी समितिया मौजूद है । जिसके माध्यम से किसानों को खाद बीज कीटनाशक दवाएं उपलब्ध कराने की व्यवस्था है । मगर मौजूदा समय में अधिकतर समितियों की हालत बद से बदतर हो चुकी है कर्मचारियों की मनमानी प्रमुख कारण है ।इस वक्त तीनों ब्लॉक में मात्र तीन या चार कैडर सचिव ही बचे है । जिनके कंधो पर दो दो तीन तीन समितियों का चार्ज सौंपा गया है। तो दूसरी तरफ विभाग द्वारा शेष अन्य समितियों पर प्रभारी सचिव नियुक्त किया गया है। उन्हें भी दो दो समिति सौंपी गई है। जिससे समितियो का सही ढंग से संचालन नही हो पा रहा है , जिसका मुख्य कारण विभागीय उच्चाधिकारी ही बताए जा रहे हैं।
किसानों की मानें तो है कुछ प्रभारी सचिव अपने चार्ज वाली समितियो को चौकीदारों के भरोसे चला रहे है और चौकीदारो द्वारा किसानों के साथ भेद भाव के साथ ही सरकार द्वारा निर्धारित रेट से पांच से दस रुपए अधिक मनमाने रेट पर खाद बिक्री करते है । विरोध करने किसानों से उलझना आम बात हो गई है। अधिकारियों से शिकायत भी काम नही आती है। अजीत सिंह ने कड़े शब्दो मे कहा की यह देश किसानो और जवानो का देश है अगर किसानो को किसी प्रकार के परेशानी खेती बारी के संबंध मे आती है तो यह बिल्कुल बर्दास्त नहीं किया जायेगा। अधिकारियों और कर्मचारियों को किसानो की समस्याओं पर विशेष ध्यान देना होगा। अगर किसानो को खाद बीज जैसे मूल भूत जरूरतों को अगर पूर्ति नहीं होगी तो किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर बड़े आंदोलन की रणनीति तैयार की जाएगी।

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