Home चंदौली सुपुर्द-ए-खाक हुए संगीत के फनकार बंगाल टाइगर

सुपुर्द-ए-खाक हुए संगीत के फनकार बंगाल टाइगर

चहनियां। बंगाल टाइगर के नाम से मशहूर अखिल भारतीय राष्ट्रीय कजली बिरहा एवं कौव्वाली के मशहूर शायर 90 वर्षीय हाजी मोहम्मद बशीर अहमद का शुक्रवार को इंतकाल हो गया । बचपन मेंं ही संगीत से जुड़ाव हो गया । आज पचासों शिष्य इनसे आशीर्वाद प्राप्त कर जलवा बिखेर रहे है । चंदौली जनपद के चहनियां स्थित खण्डवारी रानेपुर ग्राम निवासी हाजी साहब मो0 बशीर अहमद का जन्म 1933 में इसी गांव में हुआ था । 17 वर्ष की उम्र में काम की तलाश में बंगाल चले गये । जहां काम के साथ साथ संगीत में रुचि दिखायी । वही से कई वर्ष तक संगीत की कुछ कला सीखकर घर आ गये । फिर कजली के बनारस के मशहूर आशी अली घराने से आने वाले पंडित लक्ष्मण त्रिपाठी रामगढ़ चंदौली निवासी के अद्वितीय शिष्य बने । कजली व कौव्वाली से मो0 बशीर अपने फन के माध्यम से उत्तर प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, बंगाल, महाराष्ट्र एवं गुजरात में मशहूर कलाकारों के दांत खट्टे कर दिये तथा जनता ने उन्हें बंगाल टाइगर के खिताब से नवाजा । आज इनके पचासों शिष्य जगह जगह मो0 बशीर के आशीर्वाद का जलवा बिखेर रहे है । 2018 में मक्का मदीना भी गये थे । तब इन्हें पूरा बाजार मिलकर गाजे बाजे के साथ बिदा किया था । क्षेत्र में जब भी इनका कार्यक्रम होता था सुनने वालों की भीड़ लग जाती थी ।
उन्हें श्रद्धांजलि देने आए बिरहा गायक एवं कवि पंडित भगवान दास यादव ने उन्हें याद करते हुए कहा कि उस्ताद कहा करते थे “फन अगर जिंदा है तो फनकार मर सकता नहीं” उस्ताद के जाने से उनके हजारों प्रशंसक शोक संतप्त हैं । हमारी संवेदनाएं और सभी के साथ हैं । उनके जनाजे में हजारों लोग शामिल हुए ।

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