चहनियां। एक तरफ सरकार जहॉ महिला सशक्तिकरण और उनकी सुरक्षा हेतु कटिबद्ध है तथा उनकी सुररक्षा एंव न्याय हेतु महिला हेल्प डेस्क की स्थापना की गयी है। किन्तु यह न्याय के नाम पर कोरा कागज साबित हो रहा है। जिससे प्रतिदिन महिलाओं पर उत्पीड़न, अत्याचार और उनका शोषण जारी है। इसी क्रम में रामगढ़ निवासीनी रुक्मणी देवी बिगत कई महीनों से न्याय के लिए दर-दर भटक रही है। पीड़िता रुक्मिणी ने बताया कि वह केशवपुर बछौली थाना बलुआ निवासी सीताराम गोड़ की पुत्री है। जिसका विवाह रामगढ़ बलुआ निवासी सुनील कुमार पुत्र राजेन्द्र गोड़ के साथ बिगत 20 वर्ष पूर्व हुआ था। शादी के बाद उक्त दम्पत्ति के पास एक पुत्र एक पुत्री है। ससुराल में पति, सास, स्वसुर, देवर व जेठ द्वारा बार-बार मारपीट कर प्रताड़ित किया जाता रहा है। लेकिन पिता की अति गरीबी के कारण मै उनके अत्याचार को सहन करती रही और समय-समय पर पुलिस को सूचना देती रही लेकिन पुलिस किसी प्रभावशाली व्यक्ति के प्रभाव में आकर केवल मुझे बार-बार दौड़ाती रही। जिससे वह थकहार कर अपने भाग्य को कोसती रही है। पीड़िता रुक्मणी ने बताया कि बीते बुधवार को पति सुनील कुमार, ससुर राजेन्द्र, देवर मुकेश, सास शकुन्तला, जेठ दीपू, ने उसके साथ जमकर मारपीट की। जिससे वह बेहोश हो गयी। जब मेरी बेटी बचाने गयी तो उसे धक्का मारकर घर से भगा दिया गया। होश आने पर मुझको भी परिजनों ने घर से निकाल दिया। जिससे वह-दर-दर भटकने पर विवश हो गयी। उसने बताया कि उसका बलुआ पुलिस से विश्वास ही उठ गया है जिसके कारण वह इस घटना की जानकारी पुलिस अधीक्षक अंकुर अग्रवाल को देकर न्याय की गुहार लगायी है ताकि उसे न्याय मिल सके।